Tuesday, May 17, 2016

Sai Chalisa, Aarti, Kavach



This application is a combination of Sai Chalisa, Sai Aarti and Sai Kavach.

The name 'Sai Baba' is a combination of Persian and Indian origin Sai (Saih) is the Persian term for "holy one" or "saint", usually attributed to Islamic ascetics, whereas BABA is a word meaning "father" used in Indian languages. The appellative thus refers to Sai Baba as being a "holy father" or "saintly father" .His parentage, birth details, and life before the age of sixteen are obscure, which has led to a variety of speculations and theories attempting to explain Sai Baba's origins.

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This Application is dedicated to Sai Baba.

Sai Baba Mantra:
Aum sai Namo Namah,
Sri sai namo namah,
Jaya jaya sai namo namah
Sadguru saiye namo namah


श्री साईं बाबा की आरती


आरती साईं बाबा , सुखदातरा  जीवा . चरण रजातली
द्यावा दासां विसावा , भक्ता विसावा. आरती साईं बाबा

जाळुनियाँ आननंग स्वस्वरूपी रहे ढंग
मुमुक्षु जानां दावी निज डोलां श्रीरंगा , डोलां श्रीरंगा आरती साईं बाबा

जाया मणी जैसा भाव तया तैसा अनुभव
दाविसी दयाघना ऐसी तुज्ज़ी ही मावा तुज्ज़ीहीमावा आरती साईं बाबा

तुमचे नाम ध्यातां हरे संसृति व्यथा
अगाधा तव करनी मार्ग दाविसी अनाधा ,दाविसी अनाधा आरती साईं बाबा

कलियुगी अवतार सगुना परब्रह्म संचार
अवतीर्ण झालसे स्वामी दत्ता दिगम्बरा , दत्ता दिगम्बरा आरती साईं बाबा

आत्तन दिवसान गुरुवारी भक्त करीती वारी
प्रभुपाड़ा पहावया भवभय निवारी , भय निवारी आरती साईं बाबा :

मंजन निज द्रव्य टेवा तव चरण राजसेवा
मांगने हेचियाता तुम्हें देवाधिदेव , देवाधिदेव आरती साईं बाबा

इच्छिता दीना चातक निर्मल तोय निजसुखा
पाजावे माधवा या संभल आपुली भएका , आपुली भएका आरती …

शिर्डी माज्ज़े पंढरपुर साईबाबा रमावारा
बाबा रमावारा , साईं बाबा रमावारा

शुद्ध भक्ति चन्द्रभाबगा , भाव पुण्डलीका जाएगा
पुण्डलीका जाएगा . भाव पुण्डलीका जाएगा

या हो या हो अवघे जाना करा बाबांसी वंदना .
सेक्सी वंदना करू बाबांसी वंदना

गनु म्हणे बाबा साई . धावा पाव माज्ज़े आयी
पाव माज्ज़े आयी . धावा पाव माज्ज़े आयी

घालीना लोटांगण वंदीन चरण डोळ्यांनी पाहीं रूप तुज्ज़े
प्रेम आलिंगन आनंदे पूजीं , भावे ूवालीना म्हणे नामा .

त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्चा सखा त्वमेव त्वमेव विद्या द्रविणं
त्वमेव , त्वमेव सर्वं मां देवदेव .

कायेन वाचा मनसरेंद्रीयिारवान बुध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावत
करोमि यद्यत्सकलं परस्मै , नारायणायेति समर्पयामि

अच्युतम केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हारीम
श्रीधरम माधवं गोपिका वल्लभं , जानकीनायकं रामचन्द्रम भजे .

हरे रमा , हरे रमा . रमा रमा हरे हरे
हरे कृष्णा , हरे कृष्णा . कृष्णा कृष्णा हरे हरे .

श्री गुरुदेव दत्ता .
नमस्कारास्ताक

अनंता तुला तेन कैसे रे स्थावावे , अनंता तुला तेन कैसे रे नामावे
अनंता मुखांचा शाइन शेष गातां , नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा.

स्मरावे हमनी त्वत्पदा नित्य भावे , वूरवे तरी भक्तिसात्ती स्वभाव
तरवे जगा तरुणी माया टाटा ,नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा.

वैसे जो सदा डाव्या सन्तलीला , दिसे अग्न लोकांपरी जो जनाला
पारी अंतरी गणना कैवल्य दाता, नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा .

भरा लाधला जन्मा हां मानवाचा नारा सार्थका साधनीभूता साचा
धरूँ साईप्रेमा गलाया अहंता , नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा

धरावे करी सान अल्पगना बाल , करावे अम्हा धन्य चुंबोनी गाला
मुखी गाला प्रेम करा ग्रास आतां , नमस्कार साष्टांग श्री साईनाथा.

सुरादीका ज्यांच्या पड़ा वन्दितांती , सुकड़ीका जाते समानत्व देती
प्रयागादि तीर्थें पडी नस्मृ होता , नमस्कार साष्टांग श्री साईं नाथ .

तुझ्या झ्या पड़ा पाहतां गोपबाली , सदा रंगली चित्स्वरूपी मिळाली
करी रासक्रीड़ा सेव कृष्णा नाथा , नमस्कार साष्टांग श्री साईं नाथ.

तुला माहतो मांगने एक ध्यावे , करा जोडितो दीना अत्यन्त भावे
भावी मोहनीराजा हां तारी आतां , नमस्कार साष्टांग श्री साईं नाथ .

ऐसा एई बा – साई दिगम्बरा – अक्षय्या रूपा अवतार
सर्वहि व्यापका तू – श्रुतिसारा – अनुसयात्री कुमारा – ऐसा एई बा !

काशी स्नान जप – प्रतिदिवशी – कोल्हापुर भिक्षेसी – निर्मल नदी तुंगा
जला प्रासी – निद्रा माहुर देशी – ऐसा एई बा

जजौली लोंबतसे वामकरी – त्रिशूला डमरू धरी
भक्त वरदा सदा सुखकारी देसिल मुक्ति चारी – ऐसा एई बा

पायी पादुका जपमाला – कमण्डलू – मृगछाला – धारणा करीसीबा
नागजाता – मुकुट शोभतो माथा – ऐसा एई बा

तत्पर तुज्या जे ध्यानी – अक्षय्या त्यांचे साधने – लक्ष्मीवासा करी
दिनराजनी – रक्षिसी संकट वारुणी – ऐसा एई बा

या पारी ध्यान तुज्ज़े गुरुराया – दृश्य करी नयनां या
पूर्णानंदा सूखे ही काया – लाविसे हरिगुण गया – ऐसा एई ….

सदा सत्स्वरूपम् चिदानंदा कॉन्डम
जगत सम्भावस्थाना संहारा हेतुम

स्वभक्तेच्छया मानुषं दरसायनतम
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम्.

भवद्वान्था विध्वंस मार्ताण्डा मीडडयम
मनोवागतीतं मुनीर ध्याना गम्यम

जगद्व्यापकम नई रमलम् निर्गुणं त्वाम
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

भवाम्भोदी मग्नार्थितानाम लानानाम
स्वपादाश्रितानाम स्वभक्ति प्रियाणां

समुद्धारणार्थम् कलौ संभवन्तम
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

सदा निम्बा वृक्षस्य मूलाधिवासात
सुधास्रविनम् तिक्तमप्य प्रियतम

तरुम कल्प वृक्षाधिकम् साधयन्तं
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

सदा कल्पवृक्ष्यस्य तस्याधी मूल
भवद्भवा बुध्या सपर्यादिसेवाम

नृणां कुर्वतां भुक्ति मुक्ति प्रदन्तं
नमीस्वरम सद्गुरुम साईंनाथम

अनेकाश्रुता तर्क्य लीला विलासाइिह
समाविष्कृतेशाना भास्वत प्रभावम

अहंभाव हीनं प्रसन्नात्मा भावं
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

सतां विश्रामारामा मेवाभिरामम
सदा सज्जनैः संस्थुतम् सन्नमद्भिः

जनामोददं भक्त भाद्रप्रदा नतम
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

अजनमाध्यमेकम परम ब्रह्मा साक्षात
स्वयं सम्भवम् राममेवावतीर्णम्

भवधर्शनाथसँ पुनीतः प्रबोहम
नामेस्वरम सद्गुरुम सैनाथम् .

श्री साईस कृपानिधि अखिलनृणाम् सर्वार्थ सिद्धि प्रदा
युष्मत्पादरजः प्रबह्वामातुलम धातापि वक्ताक्षःमाह

सद्भक्त्या सरनाम करितां जाली पुटः सम्प्राप्तहितोस्मि प्रभो
श्रीमठ साई परेशा पाद कमला नान्या च्चारण्यम मां

सयीरूपधरा राघवोत्तमम् , भक्त काम विभुदा ध्रूमम प्रभुं
माययोपहता चिट्टा शुद्धये , चिन्तयाम्यहमहरनिसम मुदा

शरत सुधांसु प्रत्रिमा प्रकाशम् , क्रिपटापात्रम् तव साईनाथा
त्वदीय पादाब्जा समाश्रितानाम , स्वच्छायया तापमपा करोतु

उपासना देवता साईनाथा, स्थविरमयोपासनिनास्तु स्थत्वम्
रमेन्मरोम्णे तव पादयुग्मे भृङ्गो , यथाब्जी मकरंदा लुब्धः

अनेका जन्मार्जिता पापसंक्षयो , भवेत् भवत्पादा सरोज दर्शनात्
क्षमस्वा सर्वानपराधा पूंजकाँ , प्रसीदा साईस सद्गुरो दयानिधे

श्री सैनाथा चरणामृता पुतचिताः , स्थवतपाड़ा सेवा नात्रताः सततमचा भक्त्या
संसार जन्य दुरिताघ् विनिर्गतास्ते , कैवल्य धाम परमम् समवाप्नुवन्ति

स्त्रोत्रम टाटपट्टी भक्तया योनारा अथंमनाःसदा
सद्गुरोः सैनाधस्य कृपा पात्रम् भवेद्ध्रुहम् .

रुसो मां प्रियाम्बिका मजवरी पितही रुसो
रुसो मां प्रियांगना प्रियसुतात्मजाही रुसो

रुसो भगिनी बंधुही स्वसुर सासुबाई रुसो
न दत्त गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

पुसो न सुनबाई त्या मजा न भ्रातृजाया पुसो
पुसो न प्रिया सोयरे प्रिया सेज न ग्नातीं पुसो

पुसो सुहृदा ना सखा स्वजना नापता बंधू पुसो
पारी न गुरु साइमा मजवरी क्स्डहीनही रुसो .

पुसो न अबला मुलेन तरुण वृद्धही ना पुसो
पुसो न गुरु धकुटे मजा न थॉर साने पुसो

पुसो नचा भले बुरे सूजन साधुहीन ना पुसो
पारी न गुरु साइमा मजवरी क्स्डहीनही रुसो

रुसो चतुर तत्ववित् विभूधा प्राग्न जनानी रुसो
रुसोही विदुषी स्त्रीया कुशल पण्डिताही रुसो

रुसो महीपति यती भाजक तापसीहे रुसो
न दत्ता गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

रुसो कवि ऋषी मुनी अनघा सिद्ध योगी रुसो
रुसो ही गृहदेवता नई कुल ग्रामा देवी रुसो

रुसो खला पिशासकाही मलिन धकिणीही रुसो
न दत्ता गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

रुसो मृगा खागा कृमि अखिल जीवा जंतु रुसो
रुसो विटप प्रस्तारा अचल आपगाब्धी रुसो

रुसो खा पवन नागनी वार अवनि पंचततवे रुसो
न दत्ता गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

रुसो विमल किन्नरा अमल यक्षिणीही रुसो
रुसो शशि खगाडीही गगाणी तारकाही रुसो

रुसो अमरराजाही अड़ाया धर्मराजा रुसो
न दत्ता गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

रुसो मन सरावती चपला चिट्टा तेही रुसो
रुसो वपु दिशाखिला कत्तिना काल तोही रुसो

रुसो सकल विश्वही मई तू ब्रह्मा गोला रुसो
न दत्ता गुरु साइमा मजवरी कधींही रुसो

विमूढा हमानूनी हसो मजाना मत्सराही दसो
पदाभि रूचि उल्हसोह जनन कर्दमी ना फासो

न दुर्गा धृतिचा धसो अशिवभाव मांगे खासो
प्रपंची मनाही रुसो दृड्डा विरक्ति चीटी ततसो

कुणाचीही गृणा नसों न च स्पृहा कशाची असो
सदैव बी हृदयी वसो मानसी ध्यानी साई वसो

पडी प्रणय वोरसो निखिल दृश्य बाबा दिसो
न दत्तगुरु साइमा ऊपरी याचनीला रुसो .

हरी ओम यग्नेना यग्नमयजंता देवास्तानि धर्माणी प्रथमाब्यसन
तेहनकं महिमानः सचन्ता यात्रा पूर्वे सध्या सन्ति देवाः 
;
ओम राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयम वैश्रवणाय कुर्महे
सा में कॉमन काम कामया मह्यं कामेस्वरों वैश्रवणो तथातु .

कुबेररया वैश्रवणाय महाराजाय नमः .
ओम स्वस्ति साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यम् वैराज्यम् , पारमेष्ट्यं

राज्यम महाराज्य माधि पाट्या मयम समन्तपर्या ईस्यात्
सार्वभौमः सार्वायुष्य आंतादापाराराधात पृथिव्यै

समुद्रपर्यंताया एकरालीथी
तदप्येषा स्लोकोभीगीतो मारुतः परिवस्तारो मारुतः परिवेष्टारो

मरुत्तस्यावसँ गृहे अविक्षितस्य कामप्रेर विस्वेदेवाः सभा सदा इति
श्री नारायण वासुदेवाय श्री सक्सिदानंदा सद्गुरु माँ ñहरजा की जाया

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम

विदितमविदितम् वा सर्वमे तत्षकामास्वा
जाया जाया करुणाब्धे श्री पभो साईनाथा.

श्री नारायण वासुदेवाय श्री सक्सिदानंदा सद्गुरु साईनाथा महाराजा की जाया
श्री सत्चितानन्द सद्गुरु साईनाथ महाराज की
राजाधिराजा योगिराजा पारा ब्रह्मा साईनाथ महाराज

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