Sunday, December 13, 2015

जय माँ दुर्गा

Durga Chalisa, Aarti and HD Wallpaper

Maa Durga Chalisa, Aarti Wallpaper

Durga Chalisa, Aarti and  Wallpaper application is a combination of Maa Durga Chalisa, Durga ji ki Aarti and Durga ji HD Wallpaper themes. Goddess Durga is the mother (durga mata) of the universe and is believed to be the power behind the work of creation, preservation, and destruction of the world. Since time immemorial she has been worshipped as the supreme power of the Supreme Being and has been mentioned in many scriptures - Yajur Veda, Vajasaneyi Samhita and Taittareya Brahman.

The meaning of "Durga" is "Durgatinashini," which literally translates into "the one who eliminates sufferings." Thus, Hindus believe that goddess Durga protects her devotees from the evils of the world and at the same time removes their miseries.

There are many incarnations of Durga: Kali, Bhagvati, Bhavani, Ambika, Lalita, Gauri, Kandalini, Java, Rajeswari, et al. Durga incarnated as the united power of all divine beings, who offered her the required physical attributes and weapons to kill the demon "Mahishasur". Her nine appellations are Skondamata, Kusumanda, Shailaputri, Kaalratri, Brahmacharini, Maha Gauri, Katyayani, Chandraghanta and Siddhidatri.
Durga is depicted as having eight or ten hands. These represent eight quadrants or ten directions in Hinduism. This suggests that she protects the devotees from all directions.

Like Shiva, Mother Durga is also referred to as "Triyambake" meaning the three eyed Goddess. The left eye represents desire (the moon), the right eye represents action (the sun), and the central eye knowledge (fire).
The lion represents power, will and determination. Mother Durga riding the lion symbolises her mastery over all these qualities. This suggests to the devotee that one has to possess all these qualities to get over the demon of ego.

Devi Durga stands on a lion in a fearless pose of "Abhay Mudra", signifying assurance of freedom from fear. The universal mother seems to be saying to all her devotees: "Surrender all actions and duties onto me and I shall release those from all fears".
You will be happy to see such a nice collection of Maa Durga ji Wallpapers in one single application with Durga Chalisa and also includes Durga ji ki Aarti in Mp3.

Get Live Darshan of Durga ji Hd Wallpapers with Durga Chalisa and Durga ji ki Aarti.
Durga Chalisa

Jai Ambe Gauri

Ambey Tu Hai Jagdembe Kali...
$$ ALL IN 1 APP $$

Durga Chalisa, Aarti Wallpaper

श्री दुर्गा जी की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | 
तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी || 
          
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को | 
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको || 

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै | 
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पार साजै || 

केहरि वाहन राजत, खडूग खप्पर धारी | 
सुर - नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी || 

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती | 
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति || 

शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर घाती | 
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मतमाती || 

चण्ड - मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे |
मधु - कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे || 

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी | 
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी || 

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरु | 
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू || 

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता | 
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता || 

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी |
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी || 

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती | 
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति || 

अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख - सम्पत्ति पावे ||




श्री जगदम्बे काली जी की आरती


 
अम्बे तू  है  जगदम्बे  काली 
जय  दुर्गे  खप्पर  वाली
 तेरे  ही  गुण  गाये  भारती 
ओ  मैया  हम  सब  उतारे तेरी  आरती 
 
तेरे   भक्त  जानो  पर  माता   भीड़  पड़ी  है   भारी
दानव  दल  पर  टूट  पदों  माँ  करके  सिंह  सवारी
सौ  सौ  सिंघो  से  तू  बल  शाली 
अष्ठ  भुजाओ  वाली , दुष्टों  को  पल  में  संघारती 
ओ  मैया  हम  सब  उतारे......
  
माँ  बेटे  का  है  इस  जग  में  बड़ा  ही  निर्मल  नाता 
पूत  कपूत  सुने  है  पर  न  माता  सुनी  कुमाता 
 सब  पर  करुना  दर्शाने  वाली , अमृत  बरसने  वाली
दुखियों  के  दुखड़े  निवारती 
ओ  मैया  हम  सब  उतारे......
 
नहीं  मांगते  धन  और  दौलत  न  चांदी  न  सोना 
हम  तो  मांगे  माँ  तेरे  मन  में  एक  छोटा  सा  कोना  
सब  की  बिगड़ी  बनाने  वाली , लाज  बचने  वाली 
सतियो  के  सत्  संवारती 
ओ  मैया  हम  सब  उतारे...... 



|| श्री दुर्गा चालीसा ||


 नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥ 
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ 
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ 
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥ 
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ 
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥ 

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ 
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥ 
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ 
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥ 

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥ 
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥ 
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ 
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥5॥ 

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥ 
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ 
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ 
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥ 

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ 
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥ 
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ 
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥ 

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ 
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ 
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ 
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥ 

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ 
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ 
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ 
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥ 

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ 
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥ 
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥ 
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥

देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

No comments:

Post a Comment